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Saturday 23 June 2012

पहला सेक्स



हेल्लो। मैं रिचा हूँ पटियाला से। मैं बी टेक की छात्रा हूँ। मैं आपको अपनी कहानी बताने जा रही हूँ जो मेरे साथ उस समय बीती जब मैं बारहवीं क्लास की परीक्षा देकर फ़्री हुई थी। मेरे पेरेन्ट्स सरकारी नौकरी मे हैं। इस लिये दिन भर मैं घर मैं अकेली रहती थी। हमारा एक नौकर जिसका नाम कल्लु है, भी हमारे साथ ही रहता है। उसकी उमर करीब 30 साल है और वो एक अच्छा सेहतमन्द और ताकतवर आदमी है।
एक दिन मैं अकेली बैठी थी। पेरेन्ट्स अभी अभी ऑफ़िस गये थे। कल्लु मेरे पास आया और कहने लगा- क्या कर रही हो?
मैं बोली- कुछ भी तो नहीं।
वो बोला- मेम साहब, अगर बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं।
मैं बोली- कहो।
उसने कहा- मेम साहब आज मुझे अपनी घरवाली की बहुत याद आ रही है।
उसकी घरवाली नेपाल के गांव मे रहती है।
मैंने कहा- बोलो, मैं क्या कर सकती हूँ।
वो बोला- मेम साहब, मेरे साथ थोड़ी देर बात कर लेना। इससे मेरा जी थोड़ा हलका हो जायेगा।
मैंने कहा, नो प्रोब्लम।
मैं उसके घर परिवार के बारे मैं पूछने लग गई।
बातों बातों में वो बोला- मेम साहब, हम अपनी घरवाली के साथ बहुत मज़ा लेते हैं।
मै बोली- तुम क्या बात कर रहे हो। कौन सा मज़ा लेते हो? वो बोला- मेम साहब सेक्स का बहुत मज़ा लेते हैं।
मैं पूछ बैठी- यह सेक्स मैं क्या मज़ा होता है।
उसने कहा- मेम साहब आज आपको पूरी डीटेल में समझाता हूँ।
फिर उसने कहा- पहले मैं उसके सारे कपड़े उतार देता हूँ, फिर उसके सारे शरीर को चूमता हूँ, फिर उसके बदन पर अपना हाथ फ़िराता हूँ, ऐसा करने से वो भी मस्त हो जाती है। मैं फिर उसके मम्मे चूसता हूँ।
मैने उसको टोक दिया- मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रही है।
वो बोला- मेम साहब, फ़िकर नोट, मैं आपको प्रेक्टिकल करके बताता हूँ।
इससे पहले मैं कुछ समझ सकती, वो मुझे चूमने लगा।
मैने उसको एक जबरदस्त धक्का दिया और वो दूर जाकर गिरा। वो मेरे पास आया और बोला- आज तो मैं तुम्हे नहीं छोड़ूंगा।
उसने मुझे बालों से पकड़ लिया और अपनी तरफ़ खींच लिया। मैं उस दिन स्कर्ट टॉप पहने थी। उसने मेरे दोनो हाथो को पकड़ लिया और एक हाथ से पीठ के पीछे अपने एक हाथ से कस दिये। और वो मेरे लिप्स को चूसने लगा। उसकी सांसो से शराब के स्मेल आ रही थी। मैं उससे छूटने के लिये जोर लगा रही थी। पर वो एक ताकतवर आदमी था। वो बोला रिचा मेम साहब, तुमहरे लिप्स बहुत रसदार हैं। इतने रसभरे लिप्स तो मेरी घर वाली के भी नहीं हैं।
मैने कहा- कल्लु बहुत हो गया। अब मुझे छोड़ दो वरना मैं तुम्हारा बहुत बुरा हाल करवाऊंगी।
वो बोला- मेम साहब, मैं आज 4 बजे की गाड़ी पकड़ कर निकल जाऊंगा। तुम लोग मुझे ढूंढते ही रह जाओगे। पर जाने से पहले मैं तुम्हारी अच्छी तरह चुदाई करना चाहता हूँ।
अब मैं बुरी तरह डर गई और छूटने के लिये जोर लगाने लगी। अचानक मेरा एक हाथ उसकी गिरफ़त से छूट गया और मैने उसके एक जोरदार पन्च लगा दिया। वो बोला मेम साहिब, तुम्हारे हाथ तो सिर्फ़ प्यार करने के लिये हैं। उसने मुझे पीठ के पीछे से पकड़ लिया और मुझे लेकर सोफ़ा पर बैठ गया। मैं उसकी गोद मैं बैठी थी। उसने अपने हाथ मेरे पेट पर चलना शुरु कर दिया। फिर धीरे धीरे वो अपना हाथ को उपर मेरी छाती पर लाने लगा। मैं भी उससे बचने के लिये जोर लगाने लगी और उसके हाथो को पीछे करने लगी। अचानक उसका हाथ मेरी छाती पर आ गया। वो मेरी छाती को कस कर दबाने लगा। यह मेरे लिये बहुत दर्दभरा था।
मैं चिल्लाई- ऊऊऊईईईई छोड़ दो मुझे, पर उसने मेरे मम्मों को मसलना जारी रखा। फिर दूसरे हाथ से उसने मेरे टॉप का बटन खोल दिया। वो अपना हाथ टॉप के अन्दर ले गया। और मेरे मम्मों को दबाने लगा। मेरे शरीर मे सनसनाहट सी होने लगी। जीवन मैं पहली बार किसी का हाथ मेरे मम्मो पर लगा था। कुछ समय के लिये उसका छूना मुझे अच्छा लगा पर वो बहुत जोर जोर से दबा रहा था। मुझे दर्द भी बहुत हो रहा था। फिर उसने मेरे निप्प्ल को ढूंढ कर उसे मसलना शुरु कर दिया। मेरे निपल कुचलने से मेरे बदन में मीठी सी आग भरने लगी। मेरे तन बदन मैं एक मस्ती सी छानी शुरु हो गई थी। मेरी चूत गीली होने लगी थी। पर वो इससे अन्जान था। थोड़ी देर के बाद उसने अपने दूसरे हाथ से मेरे टॉप को थोड़ा ऊपर उठाया और फिर दोनो हाथो से एक झटके साथ टॉप को उतर कर फैंक दिया। फिर उसने मेरी ब्रा के स्ट्रेप्स नीचे कर दिये और मेरे मम्मे ब्रा से बाहर उछल कर आ गये। उसने दोनो मम्मो को पकड़ लिया और धीरे धीरे दबाने लगा।
कितना मधुर अहसास होने लगा था। अब मैं कोई विरोध नहीं कर रही थी, और करना भी नहीं चाहती थी। मुझे अब होने वाली मस्त चुदाई मस्ती छाने लगी थी। उसने मुझे खड़ा किया और मेरी स्कर्ट का हुक खोल दिया और एक झटके के साथ मेरी स्कर्ट और पेण्टी को उतार दिया। इस तरह उसने मुझे पूरी तरह नंगी कर दिया। फिर उसने अपनी शर्ट और लुन्ग़ी खोल दी। वो भी पूरी तरह नंगा था।
उसका शरीर बहुत ताकतवर था और उसका लण्ड करीब 9 इन्च लम्बा था और करीब 2 इन्च मोटा था। पहले तो मै उसे देखती ही रह गई। उसका शरीर गठा हुआ था। लण्ड उफ़नता हुआ, बहुत ही तन्ना रहा था। फिर मैं उसे देख कर बहुत डर गई। उसने मुझे पकड़ कर बेड पर लेटा दिया और मेरे उपर सवार हो गया। पहले उसने मेरे सारे शरीर को चूमा फिर उसने मेरे मम्मो को दबाया फिर उन्हे अपने मूह मैं लेकर बारी बारी चूसने लगा। एक मस्ती का एहसास मेरे दिलो दिमाग पर हावी होने लगा। उसके शरीर का लुभावना दबाव मुझ पर परने लगा। मेरी चूत मैं एक मस्ती भरी खुजली होने लगी। खुजली बढती ही गई। मेरे निप्पल तन कर खड़े हो गये थे। उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर टिका दिया और एक झटका लगा दिया। लण्ड थोड़ा सा अन्दर चला गया।
मैं चीख पड़ी, आआययईईईईईईए आआआआह्हह्हह्हह्हह्हह्हह ऊऊऊऊऊओह्हह्हह्हह्हह्हह्ह हैईईईईईईई माआआअर्रर्रर्रर्र गाआआययययईईईईईईईईईई नाआअह्हह्हह्हह्हीईईईईईईईईईईइन्नन्न फिर उसने एक जोरदार झटका मार दिया और लण्ड करीब आधा अन्दर चला गया। मेरी सील भी टूट गई। मेरी चूत से खून बहने लगा। मैं चीखना चाहती थी पर उसने मेरे लिप्स को अपने लिप्स मैं लेकर दबा रखा था। वो बोला मेम साहब तुम बहुत मस्त हो। आज तुम्हारी सील तोड़ने मैं मज़ा आ गया। उसने एक और जोरदार झटका लगाया और उसका लण्ड पूरी तरह मेरी चूत मैं घुस चुका था। मैं चीखना चाहती थी पर चीख नहीं सकती थी। मैरी आंखो से आंसु टपक रहे थे।
वो बोला- थोड़ी देर रुक जाता हूँ। फिर उसने मेरे मम्मो को चूसना शुरु कर दिया। इससे मुझे बहुत आराम मिला और मेरा दर्द भी कम हो गया। फिर उसने धीरे धीरे लण्ड को अन्दर बाहर करना शुरु कर दिया। फिर दर्द की एक धीमी लहर उठी, पर अब साथ मैं मज़ा भी आ रहा था। कुछ देर बाद दर्द पूरी तरह से खतम हो गया। अब तो बस मज़ा ही मज़ा था। उसने पूरी मस्ति के साथ मेरी चुदाई की। उसका मोटा मस्त लण्ड मेरी चूत की खुजली मिटाने में लगा था। मैने भी अपनी गाण्ड को उठा कर उसका साथ दिया। खूब उछल उछल कर उससे चुदवाया। थोड़ी देर के बाद मैं झड़ गई। पर वो अभी तक पूरी जोर से चुदाई कर रहा था।
उसने मेरी टांगे ऊपर उठा दी। फिर उनको लेफ़्ट घुमा दिया और मेरी गाण्ड से पकड़ कर मुझे घोड़ी बना दिया। इस पोजीशन मैं मुझे बहुत मज़ा आया और मैं एक बार फिर से चरमसीमा तक पहुंच गई। पूरे एक घण्टे की चुदाई के बाद वो ठण्डा हुअ। 15 मिनट के बाद उसने फिर से मुझे पकड़ लिया और मेरी चूत को चाटने लगा। उसने अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर घुसा दी। मैं फिर से आनन्द के सागर मैं गोते लगाने लगी। मुझे अथाह सुख मिलने लगा था। अब की बार उसने मुझे लेटा दिया और अपना लण्ड मेरे मुख मैं डाल दिया। लण्ड बहुत ही मोटा था। फिर भी मस्ती में मैने उसे खूब दबा दबा कर चूसा। उसके सुपाड़े को को दांतो से खूब कुचल कुचल कर उसको मस्त कर दिया। वो तो मस्त जीभ से मेरी चूत को चाटने लगा। इस तरह मैं एक बार फिर गरम हो गई।
अब कि बार उसने मुझे बेड के सहारे खड़ा कर दिया और मेरी चिकनी गाण्ड मैं अपना लण्ड घुसेड़ दिया। उससे मुझे बहुत ज्यादा दर्द हुया। करीब आधा घण्टा तक मेरी गाण्ड चोदने के बाद वो ठण्डा हो गया। मेरा एक एक अंग दुख रहा था। उसके बाद उसने साढे तीन बजे तक मेरी पांच बार चुदाई की और फिर जल्दी से अपने कपड़े लेकर भाग गया। जाते जाते उसने कहा, मेम साहब मैं आपको हमेशा याद रखूंगा। तुम मेरी सेक्स की देवी हो। जो मज़ा तुमने मुझे दिया है वो आज तक किसी भी औरत मैं नहीं है।
उस दिन के बाद यह बात मैने किसी को भी नहीं बताई, पर मुझे ये अपनी पहली चुदाई को हमेशा याद याद आती रहती है। सच मैं, मैने भी इसमे काफ़ी मज़ा लिया था।
अगर कोई इसके बारे में कुछ भी पूछना चाहे तो मेल कर सकते है मेरी आई डी ये है Richa280@yahoo.com

पलक की चाहत-3

लेखक : सन्दीप शर्मा
पर पलक ने ड्राईवर के लिए सीधे मना कर दिया और बोली," मैं सरिता को साथ में लेकर चली जाऊँगी गाड़ी चलाने के लिए पर नो ड्राईवर !"
मेरे ऊपर भड़कते हुए बोली,"गधे, तू कार चलाना क्यों नहीं सीख लेता?"
मैंने कहा,"तू है न उसके लिए मेरी ड्रायवर ! और ना मुझे तब कार चलाना आती थी ना अभी आती है/"
चूंकि मेरे साथ जा रही थी तो अंकल को ना तो करना ही नहीं था सो हमने सामान पैक किया और दोपहर करीब दो बजे इंदौर से महेश्वर के लिए पलक की कार से निकल गए।
पलक ने घर से निकलते वक्त काले रंग का सूट पहना था और उस सूट में वो गजब की दिख रही थी और मेरी निगाहें भी आज बदल चुकी थी उसके लिए तो और गजब की दिख रही थी वो !
पलक के घर से निकल कर हम मेरे घर गए, वहाँ मैंने अपने कपड़े पैक किए और लोअर और टी शर्ट पहन कर हम लोग घर से निकल गए।
थोड़ी ही देर बाद हम लोग नवलखा चौराहा पार कर चुके थे, यह पहली बार था कि हम इतनी देर चुप रहे साथ होने पर भी !
और जैसे ही नवलखा चौराहा पार किया, मैंने कहा,"सरिता को नहीं लेगी क्या? उसका घर तो पीछे रह गया !"
पलक मुस्कुरा कर बोली," तू सच में गधा है, हमारे साथ कोई और नहीं आ रहा है ! सिर्फ हम दोनों हैं, समझा...?"
"मतलब यह सब तू पिछले तीन दिन से प्लान कर रही है?" मैंने पूछा।
उसने मुंडी हिलाई और बोली,"हाँ !"
मैंने कहा- ठीक है, आगे से वाइन ले लेंगे !"
तो बोली,"नहीं, यह मैं नशे में नहीं करना चाहती, आई वान्ट टू लूज़ माई विर्ज़िनिटी इन मैइ फ़ुल सेन्सेज़ ! आई वान्ट टू फ़ील एवेरी मूमेंट ऑफ़ इट !( मैं अपना कौमार्य पूरे होश में खोना चाहती हूँ, मैं इसका हर पल महसूस करना चाहती हूँ)
मैंने कहा,"तू सच में यह करना चाहती है?"
बोली,"तो तुझे अभी तक यकीन नहीं हुआ क्या?
उसने कार सड़क के किनारे रोक दी और आगे बढ़ कर मेरे होंठों को चूमने लगी और मेरा दायाँ हाथ अपने सीने की बाईं गोलाई पर रख दिया और बोली- फील कर इसको !
"एण्ड यू आर नॉट इन लव विद मी?" (और तुझे मुझ से प्यार नहीं हुआ है?) मैंने कहा।
वो बोली,"हाँ पागल ! नहीं हुआ है, अब चले नहीं तो यही रात हो जायेगी।"
मैंने कहा,"चल !"
और फिर बात करते हुए मैंने उसे बताया कि आज पहली बार मैंने उसे उस नजर से देखा तो वो फिर से शरमा गई।
मैंने उससे कई बार पूछा कि वो यह अंकित के साथ क्यों नहीं करना चाहती, पर उसने मेरे कई बार पूछने के बाद भी मुझे यह नहीं बताया और बोली- हम वहाँ पहुँच कर ही बात करेंगे ना !
हम करीब छः बजे शाम को महेश्वर पहुँचे... वहाँ पर अंकल ने पहले ही दो कमरे बुक करा रखे थे तो हमें होटल की कोई दिक्कत नहीं थी। हम लोगों को होटल वालों ने दोनों कमरे दिखाए और जैसे ही बैरा कमरे से बाहर निकला, पलक बिना कुछ कहे कूद कर मेरे ऊपर चढ़ गई और उसने बेतहाशा मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।
वो पूरी तरह से मुझ पर चढ़ी हुई थी, मेरी कमर पर उसने दोनों टांगे लपेट रखी थी और उसके दोनों हाथों को उसने मेरी गर्दन के गिर्द लपेट रखा था, वो जैसे ही ऊपर चढ़ी तो मैंने भी दोनों हाथों का सहारा दे दिया था उसे और मैं भी उसके साथ चुम्बनों का मजा ले रहा था, साथ ही साथ मेरे हाथ पलक की पैंटी की महसूस कर रहे थे, मैंने ऐसे ही पलक को अपनी बाहों में भरे हुए ही बिस्तर पर लेटा दिया और मैं खुद उसके ऊपर लेट कर उसे चूमने लगा और एक हाथ उसके सर के नीचे ले जाकर उसके बालों से खेलने लगा।
मेरा लण्ड लोअर के अंदर था पर पूरी तरह से पलक की फैली हुई टांगों के बीच चूत पर टकरा रहा था और वो भी इस सब का पूरा मजा ले रही थी।
हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे और कभी मैं पलक की जीभ चूस रहा था और कभी वो मेरी ! इसी बीच मेरे दूसरे हाथ से मैंने पलक का एक स्तन दबाना शुरू कर दिया जिससे उसे और मजा आने लगा।हम दोनों इसी तरह से काफी देर तक एक दूसरे को चूमते और चूसते रहे और फिर मैंने घुटनों के बल बैठ कर पलक को उठा कर अपनी गोद में बैठा लिया, उसकी दोनों टांगें फैल कर मेरी कमर को लपेटे हुए थी और उसकी चूत मेरे लण्ड पर टकरा रही थी।
मैंने उसकी कुर्ती उतारने की कोशिश की तो उसने अपने दोनों हाथ ऊपर कर दिए और मैंने बड़े ही आराम से उसकी कुर्ती उतार दी। कुर्ती के नीचे उसने एक काले रंग की शमीज पहनी हुई थी और उसके अंदर एक काले ही रंग की ब्रा भी थी जिसके किनारे समीज के किनारों से दिख रहे थे।
मैंने जब शमीज उतारने की कोशिश की तो बोली- अभी नहीं, इसे बाद में उतारना प्लीज...
और मैंने उसकी बात मान कर उसकी शमीज छोड़ दी और उसे गर्दन पर चूम लिया, जवाब में उसने भी मुझे गालों पर चूमा और मेरे सर को अपने वक्ष पर रख कर मुझे कस के पकड़ा और उसकी चूत को मेरे लण्ड पर दबा कर उसे महसूस करने लगी।
अद्भुत था वो अहसास भी !
वो मेरे लण्ड को महसूस कर रही थी, मैं उसकी शमीज की नीचे उसकी चिकनी कमर को महसूस कर रहा था और उसके उसके कंधों को उसके बालों सहित सहला रहा था। ना वो हिल रही थी ना मैं हिल रहा था सिर्फ एक दूसरे को पूरी तरह से महसूस कर रहे थे कपड़ो को ऊपर से ही।
थोड़ी देर हम ऐसे ही रहे, फिर उसने मुझे ढीला छोड़ा, मेरे होंठों को एक बार चूमा और बिस्तर पर लेट गई और सलवार की तरफ इशारा करते हुए बोली- इसे उतार ना !
मैंने उसकी सलवार के साथ ही उसकी पैंटी भी उतारने की कोशिश की तो बोली- नहीं, सिर्फ सलवार ! पैंटी नहीं प्लीज...
मैं क्या कहता, मुझे उसकी बात माननी ही थी... तो मैंने एक ही झटके में उसकी सलवार उतार दी।
जब मैंने उसे सलवार उतरने के बाद देखा तो मैं एक बार तो देखता ही रह गया... दो चिकनी टांगों के बीच एक प्यारी सी काली पैंटी ने चूत को ढक रखा था और उसकी काली शमीज पलक की पूरी खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थी।
गजब की खूबसूरत लग रही थी वो...
मैं सिर्फ उसे देखते ही रह गया और मेरी नजरो के कारण वो शरमा सी गई, उसने दूसरी तरफ चेहरा कर लिया और मुझसे बोली,"प्लीज यार, ऐसे मत देख, शर्म आती है।"
दोस्तो, यकीन मानो एक लड़की जितनी बिना कपडों के सेक्सी हो सकती है उससे ज्यादा सेक्सी वो कम कपडों में लगती है !
कम से कम मुझे तो लगती है ! और यह बात पलक को बहुत अच्छे से पता थी।
मैं कुछ सेकंड तक उसे और देखता रहा और फिर मैंने उसकी पैंटी उतारने की कोशिश की तो वो बोली- नहीं, इसे मत उतार।
मैंने कहा,"अब मत रोक, नहीं तो तेरा बलात्कार हो जायेगा मुझसे !"
वो बोली," ऐसा कुछ नहीं होगा लेकिन...."
"लेकिन क्या?"
उसके लिए अगले भाग का इन्तजार कीजिए !

पलक की चाहत-1


लेखक : सन्दीप शर्मा
यह कहानी मेरी और मेरी एक दोस्त की है जो आज से कुछ साल पहले घटी थी उसका नाम बदल कर मैं पलक लिख रहा हूँ। मेरी पिछली कहानी को पढ़ने के बाद उसने मुझे कहा कि मैं हम दोनों की कहानी भी लिखूँ और उसके बाद मैंने इस किस्से को लिखना शुरू किया। इस कहानी का हर भाग उसकी रजामंदी के बाद ही आपके पास पहुँच रहा है और आप सभी को पहले ही एक निराशा दे दूँ कि आप मुझ से उसका नम्बर या आईडी मांगने की कोशिश ना करें, वो अपनी शादीशुदा जिंदगी में बहुत खुश है और फिलहाल अमेरिका में है।
मैं कहानी पर आता हूँ, हम दोनों की बातें अंग्रेजी और हिन्दी दोनों में होती थी, अधिकतर अंग्रेजी में तो अत: कुछ जगहों पर जहाँ जरूरी लगा है, मैंने अंग्रेजी का इस्तेमाल किया है पर उसका हिन्दी मतलब भी साथ में लिख दिया है तो उम्मीद है आपको दिक्कत नहीं आएगी।
हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं जो हर बात के बारे में खुले तरीके से बाते करते हैं और हमारे बीच में सेक्स सम्बन्धी बातें भी ऐसे ही होती थी जैसे कोई सामान्य बातें हो रही हों, उसे भी वयस्क फिल्में देखने का बहुत शौक था तो वो मुझसे माँगा करती थी क्योंकि मैं इन्टरनेट से डाउनलोड कर लिया करता था और उसे दिया करता था। उसे मेरे सारे सम्बन्धों के बारे में भी विस्तार से पता होता था और आज भी है।
एक दिन शनिवार को सुबह 11 बजे पलक का फोन आया, मैं तब सो ही रहा था मैंने जैसे ही फोन उठाया तो वो चिल्लाते हुए बोली- गधे, एस एम एस का जवाब क्यों नहीं देता?
मैंने कहा- तू तो ऐसे बोल रही है जैसे तुझे पता ही नहीं मैं शनिवार और रविवार को 12 बजे तक सोता हूँ?
वो बोली- पता है लेकिन फिर भी मेरे मैसेज का जवाब देना चाहिए ना, मैसेज का जवाब दे !
और यह बोल कर उसने फोन काट दिया।
हाँ ! ऐसी ही है वो पागल !
मैंने एस एम एस पढ़ा, लिखा था,"सैंडी सुन ना ! कुछ बोलना था, बोलूँ क्या?"
मैंने जवाब दिया,"नहीं, मत बोल। तुझे कब से जरूरत पड़ने लगी है मुझसे कुछ बोलने के लिए?"
पलक ने जवाब दिया,,"सुन तो ले क्या कह रही हूँ !"
मैंने कहा,"तो बोल न नालायक?"
वो बोली,"अच्छा मैसेज पर नहीं बोलती, मिल कर बताऊँगी, तू काफी शॉप पर आ जा ! जैसा है वैसा ही आ जा ! सजने-संवरने की जरूरत नहीं है, तू ऐसे ही बहुत स्मार्ट लगता है।"
मैं क्या बोलता, उसके सामने कुछ बोलने का कोई मतलब था नहीं, मैंने जवाब दिया,"ठीक है, 15 मिनट में पहुँच रहा हूँ !"
और उधर से जवाब आया- ओके।
मैं बिना नहाये बिना कपडे बदले बरमूडा और टीशर्ट में ही वहाँ पहुँच गया तो वो मोहतरमा पहले से ही पहुँची हुई थी और मेरी केपेचिनो का ऑर्डर भी दे रखा था।
मैंने कहा,"कहो, क्या हुकुम है?"
बोली,"रुक तो जा यार, पहले काफी पी ले, ठीक से जाग तो जा, फिर बात करते हैं !"
मैंने कहा,"ठीक है, ठीक है, ला दे मेरी कॉफ़ी !"
तब तक कॉफी आ गई मैंने कॉफी पी उसने उसका स्ट्राबेरी शेक।
उसके बाद मैंने कहा,"अब तो बोल, क्या हुआ? क्या बोलना था?"
पलक फिर बोली,"क्या हुआ, बता दूँगी जल्दी क्यों मचा रखी है?"
अब मैं भड़क गया, मैंने कहा,"जल्दी मैंने मचा रखी है या तूने मचा रखी थी, जैसा मैं था वैसे हालत में मैंने तुझे बुलाया था या तूने मुझे बुलाया है, अब बता वरना मार खायेगी।"
फिर वो बोली,"ठीक है तू घर जा, मैं फोन करके बता दूँगी।"
उसके दिमाग में क्या चल रहा था मेरे समझ के बाहर था लेकिन आज मैंने उसकी आँखों में अजीब बात देखी थी, आज वो मुझ से आँखे मिलाने से कतरा रही थी, हर बार जब मैं उससे कुछ भी पूछता कि क्या कहना था तो वो शरमाए जा रही थी।
मैंने उसे कहा,"सुन जरा !"
वो बोली,"क्या?"
मैंने कहा,"इधर देख !"
उसने ऊपर देखा तो मैंने कहा,"आज मुझे ही ऐसा लग रहा है या तू सच में शरमा रही है?"
मेरी बात सुन कर वो लाल सी हो गई और शर्माते हुए बोली,"मैं घर जा रही हूँ तुझे घर जा कर फोन करती हूँ।" यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
वो उठ कर जाने लगी तो मैंने पीछे से उसके बाल पकड़े और उसके चेहरे को मेरे चेहरे के सामने लाकर कहा,"अब बताएगी हुआ क्या है !!! नहीं तो मैं तुझे नहीं जाने दे रहा हूँ।"
उसके बाल पकड़ कर इस तरह कुछ पूछना मेरे लिए बिलकुल सामान्य बात थी और कैफे वालों के लिए भी क्योंकि इसके पहले भी हम लोग इस तरह की बातें करते रहे हैं।
पर आज जब मैंने उसे पकड़ा तो वो पहले तो चौंक गई फिर मेरे और पास में आ गई और उसने आँखे बंद कर ली, ऐसा उसने पहले कभी नहीं किया था तो इस बार मैं चौंक गया।
मैंने उसे कहा,"जागो मैडम कहा हो तुम?"
तो उसने आँखे खोली मेरी तरफ देखा और मेरे दाएँ गाल को उसने चूम लिया।
मैं कुछ कहता या समझता वो उसके पहले ही कैफे से बाहर थी, मैं मेरे गाल को सहला रहा था और बिल माँगा तो पता चला कि आज मोहतरमा पहले ही पैसे दे कर जा चुकी थी।
तभी मेरे फोन पर उसका एक मैसेज आया !
बाकी क्या हुआ वो अगले भाग में... तब तक के लिए इन्तजार करें !

पलक की चाहत-2




लेखक : सन्दीप शर्मा
मैं कुछ कहता या समझता वो उसके पहले ही कैफे से बाहर थी, मैं मेरे गाल को सहला रहा था और बिल माँगा तो पता चला कि आज मोहतरमा पहले ही पैसे दे कर जा चुकी थी।
तभी मेरे फोन पर उसका एक मेसेज आया।
मैंने मैसेज देखा तो वो खाली था, मैं समझ नहीं रहा था कि आखिर चाहती क्या है वो? मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं उसे मुझसे प्यार तो नहीं हो गया ना।
मैंने उसे जवाब दिया,"आई होप यू आर नॉट इन लव विद मी। (मैं यह उम्मीद कर रहा हूँ कि तुझे मुझ से प्यार नहीं हो गया है।)
उसने अंग्रेजी में ही जवाब दिया था, मैं हिन्दी में लिख रहा हूँ, उसने जवाब दिया,"नहीं, बिल्कुल नहीं।"
तभी फिर से उसका मैसेज आया जिसमें लिखा था,"मुझे सेक्स करना है।"
मैंने कहा- ठीक है तो कर ले न ! अंकित तो पागल हुआ पड़ा है पहले से ही।
अंकित उसका बॉय फ्रेंड था।
वो बोली,"अंकित से नहीं, मुझे तेरे साथ करना है !"
अब मेरे लिए बात और चौंकने की थी, उसका बॉयफ्रेंड था, मुझसे ज्यादा अच्छा दिखता था, दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे, फिर वो मेरे साथ क्यों सेक्स करना चाहती थी।
मैंने जवाब दिया,"मजाक बहुत हो गया, मैं घर जा रहा हूँ।"
तो उसका मैसेज आया,"तू मेरे घर आ जा, यही बात करते हैं।"
मैं कैफे से बाहर निकला और उ6सके घर पहुँचा, आंटी से पूछा,"कहा है वो गधी?"
आंटी ने मुझे देखा बोली,"य क्या हाल बना रखा है तूने बेटा?"
मैंने कहा,"क्या कहूँ आंटी ! मैडम का हुकुम था कि जैसे हो वैसे ही आ जाओ, तो आ गया !"
आंटी बोली,"कितना परेशान करती है यह लड़की तुझे ! जा वो अपने कमरे में ही है, तुझे अंदर ही बुलाया है उसने ! जा चला जा और नहा भी लेना ! तब तक मैं नाश्ता बनाती हूँ तेरे लिए !"
यह हम दोनों के लिए सामान्य बात थी कि एक दूसरे के घर रुक जाना और इस वजह से हमारे कपड़े भी एक दूसरे के घर पर पड़े रहते थे।
मैं अंदर गया तो वो मेरा ही इन्तजार कर रही थी, मेरे अंदर जाते ही मुझ पर भड़क गई,"इतने देर से यहाँ है और अंदर आने में इतनी देर लगा दी?"
जबकि मैंने आंटी से सिर्फ एक मिनट बात की थी पर मैडम को भड़कने के बहाने चाहिए होते हैं बस।
मैंने उसे कहा,"वो छोड़ और यह बता कि यह क्या लफड़ा है? अंकित तुझे इतना प्यार करता है, तू उसे इतना प्यार करती है, शादी भी करना चाहता है वो तुझ से और तू....?"
मैं कहते कहते रुक गया।
वो मेरे पास आई अपने चेहरे को मेरे चेहरे के पास ला कर बोली,"हाँ मुझे तेरे साथ ही करना है और आज ही करना है ! समझ गया?"
मैंने फिर कहा,"तू पागल ..."
लेकिन मेरी बात उसने पूरी नहीं होने दी और उसने मेरे होंठों पर होंठ रख दिए और मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैं कुछ समझ ही नहीं पा रहा था कि क्या करूँ !
कुछ सेकंड तक तो मैं संशय में था और फिर मैंने भी उसे चूमना शुरू कर दिया और थोड़ी देर तक हम दोनों ही एक दूसरे को इस तरह से चूमते रहे।
फिर जब हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए तो मैंने उससे सॉरी कहा तो बोली,"कट द क्रेप यार, तू यह बता कि क्या मैं तुझे उन लड़कियों की तरह सेक्सी और माल नहीं लगती जिन सबके साथ तूने सब कुछ किया है?"
मैंने कहा,"लेकिन मैंने आज तक तेरे बारे में कभी ऐसा सोचा नहीं है यार !"
वो तपाक से बोली,"तो अब सोच ले !"
तभी नीचे से आंटी की आवाज आई,"नाश्ता तैयार है बेटा, तू पहले कुछ खा ले ! यह तो तेरी जान खाती ही रहेगी दिन भर !"
मैंने कहा,"बस अभी आता हूँ आंटी !"
और मैंने पलक को उठा कर उसके ही कमरे से बाहर किया और उसके बाथरूम में घुस गया।
इससे पहले कभी मैंने यह नहीं सोचा था कि पलक भी एक सेक्सी सुन्दर और गजब की लड़की है लेकिन उस दिन जब मैंने उसकी बात सुनी और यह सब हुआ तो मैंने इस तरफ ध्यान दिया और पाया कि वो कितनी गजब की सुन्दर है, 23 साल की उम्र, कमर तक लम्बे रेशमी बाल, भरे हुए गाल, बड़ी बड़ी काली आँखें, प्यारी तीखी नाक, पतले पतले होंठ, होंठ पर दाईं तरफ एक काला तिल, चेहरे पर कोई भी दाग नहीं, रंग ऐसा जैसे बस अभी अभी दूध से नहा कर निकली हो, नाजुक इतनी कि जोर से पकड़ लो तो खून निकल आये, प्यारे प्यारे स्तन, पतली कमर, बड़े नितम्ब और चिकनी टाँगें.... ये सब मैंने पहले भी देखा था कई बार हम दोनों एक ही बिस्तर पर भी सो गए थे पढ़ते हुए लेकिन उस दिन से पहले इस तरह से उसके बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था और उस दिन किसी और तरह से सोच ही नहीं पा रहा था।
मैं यह सब सोच कर रोमांचित भी हो रहा था और शर्मिंदा भी तभी बाथरूम के दरवाजे पर जोर जोर से खटखटाने की आवाजें आने लगी।
मैंने पूछा,"क्या हुआ?"
तो बाहर से पलक की आवाज आई,"मुझे नहीं मालूम था कि गधे नहाने में इतना वक्त लेने लगे हैं।"
मैं अभी तक पूरे कपड़ों में था, मैंने दरवाजा खोला उसे देखा और कहा,"सोच रहा था तो नहा ही नहीं पाया।"
वो बोली,"क्या सोच रहा था?"
मैंने कहा,"वो ही सब जो आज तक नहीं सोचा।"
मेरी बात सुन कर वो शरमा सी गई, उसने मेरे कपड़े पलंग पर रखे और 'माँ बुला रही है' कहते हुए नीचे भाग गई।
मैं जल्दी से नहाया, कपड़े पहने और नीचे पहुँचा, तो पलक आंटी का सर खा रही थी, उसका कहना था कि उसे कहीं जाना है और आंटी कह रही थी कि न उनके पास समय है ना अंकल के पास तो उसे अभी रुकना पड़ेगा।
यह सुन कर पलक आंटी से बोली,"देखो माँ, मुझे आज ही घूमने जाना है, यह तुम भी जानती हो और पापा भी मैंने तीन दिन से कहा हुआ है कि मुझे महेश्वर जाना है और मैं जाऊँगी, अगर आप लोग लेकर नहीं गए तो मैं अकेले चली जाऊँगी। समझ गए ना?"
यह सुनकर आंटी बोली,"तुझे अकेले तो मैं नहीं जाने दूँगी।"
पलक तपाक से बोली,"तो अकेले मैं भी कहाँ जाने वाली हूँ ! यह गधा किस दिन काम में आएगा?"
और उसने उंगली मेरी तरफ उठा दी।
यह बात सुन कर आंटी बोली,"ठीक है, पापा से पूछ ले और साथ में ड्राईवर को भी ले जाना ! वो गाड़ी चला लेगा !"
पर पलक ने ड्राईवर के लिए सीधे मना कर दिया और बोली," मैं सरिता को साथ में लेकर चली जाऊँगी गाड़ी चलाने के लिए पर नो ड्राईवर !"
मेरे ऊपर भड़कते हुए बोली,"गधे, तू कार चलाना क्यों नहीं सीख लेता?"
मैंने कहा,"तू है न उसके लिए मेरी ड्रायवर ! और ना मुझे तब कार चलाना आती थी ना अभी आती है/"
चूंकि मेरे साथ जा रही थी तो अंकल को ना तो करना ही नहीं था सो हमने सामान पैक किया और दोपहर करीब दो बजे इंदौर से महेश्वर के लिए पलक की कार से निकल गए।
पलक ने घर से निकलते वक्त काले रंग का सूट पहना था और उस सूट में वो गजब की दिख रही थी और मेरी निगाहें भी आज बदल चुकी थी उसके लिए तो और गजब की दिख रही थी वो !
पलक के घर से निकल कर हम मेरे घर गए, वहाँ मैंने अपने कपड़े पैक किए और लोअर और टी शर्ट पहन कर हम लोग घर से निकल गए।
थोड़ी ही देर बाद हम लोग नवलखा चौराहा पार कर चुके थे, यह पहली बार था कि हम इतनी देर चुप रहे साथ होने पर भी !
कहानी कई भागों में जारी रहेगी।

पिंकी और रिंकी-4




प्रेषक : राजवीर
उस रात नवीन ने उसकी बार दो चूत और एक बार गाण्ड मारी और सुबह पाँच बजे से पहले ही घर से भेज दिया।
उस दिन रिंकी-पिंकी भी स्कूल नहीं गई, सोचने लगी कि देख कर काम नहीं चलेगा।
दोनों ने ठान लिया कि किसी को पटाया जाये और उससे मजे लिए जाएँ। पर सोचने की बात यह थी कि पटाया किस को जाये। भाई से करें तो रिश्ता ख़राब हो जायेगा। इसलिए भाई के दोस्त सूरज का ख्याल आया, छह इंच का काला लम्बा लण्ड उनकी आँखों के सामने छा गया।
उन्होंने सूरज का नंबर खोजा और नंबर मिलाया, कहा- जल्दी से घर आ जाओ, कुछ बात करनी है।
वो तुरंत घर आ गया। सूरज के आते ही उन्होंने उसे बैठाया।
सूरज ने पूछा- महेश तो है नहीं, फिर क्यों बुलाया?
रिंकी ने कहा- जो उस दिन तुम कर रहे थे उसके बारे में बताने के लिए।
सूरज घबरा गया, कहने लगा- क्या तुम दोनों ने वो सब देखा था?
पिंकी ने कहा- हाँ । कि कैसे महेश ने तुम्हारी और तुमने महेश की...
इतना ही कहा था कि सूरज बोल पड़ा- प्लीज किसी को बताना मत।
रिंकी ने कहा- अरे, यह तो इतनी गन्दी बात है कि किसी को बताई नहीं जा सकती, पर बतानी पड़ेगी, अपनी बड़ी बहन के बारे में ऐसा सोचते हो और हमारे बारे में भी? सूरज कहने लगा- नहीं तुम जो मांगो, मैं दे दूंगा पर किसी से कहना मत।
तो रिंकी ने कहा- चल तुझे हम यह सजा देती हैं कि हमारे साथ भी वही कर जो तू करने की कह रहा था पर हमारे भाई को या किसी को पता नहीं चलना चाहिए।
सूरज की तो बल्ले बल्ले हो गई। एक साथ दो नए माल, जहाँ उसे एक भी नसीब होने के फ़ाके थे, वहाँ दो मिल गए।
सूरज ने कहा- चलो ठीक है, मैं किसी को नहीं बताऊँगा।
पिंकी ने कहा- पहले चलो, तीनो नहाते हैं फिर करेंगे।
सूरज ने कहा- मैं कपड़े क्या पहनूँगा?
तो पिंकी ने कहा- अबे, कपड़े पहन कर कौन नहा रहा है, तीनो नंगे नहायेंगे।तीनो नंगे बाथरूम में नहाये खूब रगड़ रगड़ के एक दूसरे को नहलाया। फिर तीनो बेडरूम में आये और दोनों बहनों ने सूरज को लिटा दिया। कपड़े उतारने की तो जरुरत थी नहीं, पहले से ही उतरे पड़े थे। रिंकी उसका लण्ड चूस रही थी और पिंकी उसके होठ चूम रही थी। फिर दोनों के जगह बदल ली। रिंकी उसके होंठ चूस रही थी और पिंकी सूरज का लण्ड चूस रही थी।
फिर दोनों लेट गई और सूरज ने बारी बारी से दोनों के मम्मे दबाये, चूसे और चूत चाटी।
अब दोनों को सब्र नहीं हो रहा था, रिंकी ने कहा- मैं बड़ी हूँ, पहले मुझे चोद।
तो सूरज ने अपना लण्ड उसकी चूत पर रखा और एक धक्का दिया। अभी सुपारा ही अन्दर गया था कि रिंकी दर्द के मारे चीखने लगी।
सूरज ने कहा- रिंकी, पहली बार ऐसा होता है। थोड़ा दर्द सहो, बाद में मजा आएगा।
फिर एक और धक्का दिया तो आधा लण्ड अंदर चला गया और रिंकी की चूत से खून निकालने लगा। और तीसरे धक्के में पूरा लण्ड अंदर चला गया। रिंकी की आँखों से आंसू निकल रहे थे। पिंकी उसके पास लेट गई और उसे प्यार करने लगी, उसकी चूची सहलाने लगी और फिर चूसने लगी।
जब रिंकी का दर्द कम हुआ तो सूरज ने धक्के देने चालू किये। पन्द्रह मिनट के बाद रिंकी और सूरज दोनों ने अपना पानी निकाल दिया। सूरज ने रिंकी की चूत से अपना लण्ड निकाला और बगल में लेट कर आराम करने लगा। रिंकी भी चुपचाप सांस ले रही थी, पूरे कमरे में दोनों की साँसों की आवाज ही आ रही थी।
तभी पिंकी ने कहा- क्यों सूरज, अभी थक गए? अभी तो मैं बाकी हूँ। और रिंकी भी शायद और करेगी।
तो रिंकी ने कहा- नहीं, अब मैं नहीं करुँगी और किसी दिन कर लूँगी। अभी तू कर ले, तेरी बारी है।
तो पिंकी ने उसका लण्ड साफ़ किया और चूसने लगी। पाँच मिनट में उसका लण्ड फिर खड़ा हो गया। और फिर पिंकी की चूत पर लण्ड रख कर एक धक्का दिया और आधा लण्ड चला गया और उसकी सील टूट गई। उसकी चूत से भी खून निकाल रहा था, वो रोने लगी थी।
रिंकी उसके पास आई और उसके होंठ चूसने लगी। तभी सूरज ने एक और धक्का दिया और पूरा लण्ड उसकी चूत में उतार दिया।
पिंकी की तो जैसे साँस रुक गई हो कुछ समय के लिए।
सूरज ने उसके चूचे सहलाये और रिंकी उसके होंठ चूम रही थी और उसकी चूची दबा रही थी।
दस मिनट बाद थोड़ा आराम मिला तो वो अपने आप गाण्ड उठा उठा कर चुदने लगी और सूरज ने भी धक्के चालू किए। सूरज पिंकी को तेज तेज चोद रहा था। बीस मिनट हो गए थे, रिंकी झर चुकी थी अब उसे दर्द होने लगा था, कहने लगी- दर्द हो रहा है, निकाल लो।
तो सूरज ने कहा- अभी मेरा नहीं हुआ, कैसे निकाल लूँ।
तो रिंकी पीछे आई और सूरज की गाण्ड में उंगली डाल दी। सूरज चिहुंका।
रिंकी अपनी उंगली आगे-पीछे कर रही थी। सूरज को उत्तेजना ज्यादा हुई और वो कुछ ही देर ने पिंकी की चूत में झर गया और निढाल होकर पड़ गया।
तीनो नंगे पड़े थे। पूरा बिस्तर खून से लाल हो गया था।
सूरज उठा और कपड़े पहने और चला गया। दोनों बहनें भी उठी, कपड़े पहने, बिस्तर धोया, साफ़ किया और बाते करने लगी- साले को एक दिन में ही दो कच्ची सील तोड़ने का मौका मिल गया !
पिंकी ने कहा- चलो, एक बात तो है ! घर की बात घर में रही, कहीं बाहर जाने की जरुरत नहीं पड़ी और मजा भी मिल गया।
रिंकी ने कहा- हाँ,

मुम्बई के सफ़र की यादगार रात-4




लेखक : सन्दीप शर्मा
हम दोनों ने पाव भाजी खाई और उसके बाद साक्षी मुझ से बोली अब तुम्हे एक काम करना होगा मेरी मर्जी से ...
मैंने कहा- हुकुम करो जान क्या करना है वो उठी उसके बैग में से कुछ निकालने गई और मुझ से बोली तुम बाथरूम में चलो मैं भी आ रही हूँ | मैं आज्ञाकारी बच्चे की तरह बिना किसी सवाल के बाथरूम में चला गया पीछे पीछे वो भी आई, जब वो अंदर आई तो उसके हाथ में एक इलेक्ट्रिक रेजर था।
मैंने कहा- इसका क्या करने वाली हो? मैंने शेव तो सवेरे ही बनाई थी।
वो तौलिया खींच कर मेरे लण्ड की तरफ इशारा करते हुए बोली- तुम्हारी शेव तो बनी हुई है पर इसकी नहीं बनी ! मुझे इसकी शेव करनी है, इसके बाल मुँह में जाते हैं तो मजा नहीं आता।
मैंने कहा- देखना बाल के साथ कुछ और मत काट देना !
वो बोली- तुम चुपचाप रहो और मुझे मेरा काम करने दो।
इसी बीच साक्षी ने गीजर चालू कर दिया और रेजर से मेरी झांटों के बाल बड़े प्यार से साफ करने लगी। उसको इस काम में मुश्किल से 5 मिनट लगे होंगे उतने वक्त में उसने मेरी झांट के पूरे बाल साफ़ कर दिए, उसके बाद उसने मेरे हाथ ऊपर करके मेरी बगल के भी बाल साफ़ कर दिए।
मेरे बाल साफ़ करने के बाद मुझसे बोली- एक मिनट में वापस आती हूँ, फिर तुम नहा लेना।
मैंने कहा- तुम भी साथ में आओ, साथ में नहायेंगे।
वो बोली- ठीक है, पहले वापस तो आने दो उसके बाद साथ में ही नहाएँगे।
वो गई, रेजर रख कर जब वो वापस आई तो उसके हाथ में तौलिया, पियर्स सोप और शैम्पू भी था पर साक्षी ने अपने बालों को प्लास्टिक कवर से ढक रखा था।
मेरे पूछने पर बोली- मैं अपने बाल गीले नहीं करना चाहती ! यहाँ आने के पहले बाल धोए हैं और यहाँ हेयर ड्रायर लेकर नहीं आई हूँ, अगर अभी बाल गीले हो गये तो सूख नहीं पाएँगे।
तौलिया उसने सूखे हुए बेसिन के ऊपर रख दिया और बाकी सामान मेरे पास ले आई।
मैंने कहा- ठीक है जैसा तुम्हें ठीक लगे।
उसने शावर चालू किया तो पानी की बौछार मेरे ऊपर आना शुरू हो गई, वो गुनगुना पानी बड़ा ही अच्छा लग रहा था। उसने अपने हाथों से मेरे सर शावर की तरफ करके पूरा भिगो दिया और शावर बंद कर दिया, हाथ में शैम्पू लेकर मेरे सर पर लगाया और फिर साबुन लेकर मेरे गीले बदन पर साबुन मलना शुरू कर दिया। उसके हाथ लगाने से मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा था पर मैं जैसे ही उसको हाथ लगाने लगा तो बोली- चुपचाप खड़े रहो, अभी कुछ नहीं करना !
मैं बेचारा रुक गया, उसने जब पूरे बदन पर अच्छे से साबुन लगा दिया तो शावर चालू कर दिया। शावर चालू होने के बाद जब वो मेरे सर के शैम्पू को धोने लगी तो मैंने उसे मेरे पास खींच लिया और उसको मेरी बाँहों में भर लिया और मेरे साथ साथ वो भी गीली होने लगी। वो अपने हाथों से मेरे सर पर लगे शैम्पू को धो रही थी और मैं उसके गीले हो रहे बदन पर मेरे हाथ चला रहा था और उसे अपने पास खींचता जा रहा था।
कपड़े तो दोनों ने ही नहीं पहने थे इसलिए मेरा पूरा तना हुआ लण्ड उसकी चूत से टकरा रहा था और अंदर घुसने की नाकाम कोशिश कर रहा था। मैं तो जोश में था ही, मेरी इस हरकत से वो भी जोश में आ रही थी पर फिर भी उसने पूरा ध्यान सिर्फ मुझे नहलाने में लगा रखा था। जब सर का शैम्पू और बदन का साबुन लगभग साफ़ हो गया तो मेरे हाथ छुड़ा कर वो मेरे पीछे आ गई और मुझे घुमा कर मेरे सीने को शावर की तरफ कर दिया जो अभी तक पीठ की तरफ था और मेरे सीने पर अपने हाथ चलाने लगी और सीने का साबुन साफ़ करके मेरे खड़े लण्ड को अपने हाथों से धोने लगी।
अब मैं काबू से बाहर हो रहा था, मैं घूमा और उसे मैंने पकड़ कर उसके होंठों को चूम लिया, उसने भी मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया था, मैं उसे चूम रहा था और वो मेरे लण्ड को मसल रही थी।
मुझसे और रुकते नहीं बन रहा था तो मैंने उसे कमोड की तरफ खींचा। मैं खुद कमोड पर जा कर बैठ गया और उसे मैंने अपने ऊपर खींचा तो मुझे होंठों पर चूम कर बोली- बस एक मिनट रुको।
उसने पहले शावर बंद किया, सिंक पर से तौलिया उठाया, उसमें से एक कंडोम निकाला और उसे खोल कर मेरे लण्ड पर पहना दिया फिर मेरे लण्ड को अपने हाथों से पकड़ कर खुद चूत पर टिकाया और एक धक्के में मेरा पूरा लण्ड अंदर ले लिया।
इस अचानक हुए हमले से मेरे मुँह से एक सिसकारी निकल गई और उसकी भी हल्की सी आह निकल गई। लण्ड अंदर तक डलवाने के बाद उसने मुझे होंठों पर चूमा और धीरे धीरे उसने झूमना शूरू कर दिया, मैं भी कमोड पर बैठा बैठा ही उसके धक्कों का साथ दे रहा था, कभी उसके होंठों को चूम रहा था और कभी उसके बड़े बड़े स्तन मुँह में लेकर चूस रहा था।
हम दोनों की आह आह ओह ओह पूरे बाथरूम में गूँज रही थी, वो हर धक्के के साथ मुझे जोर से कस लेती थी।कमोड पर होंठों और चूचियों को चूसने और एक-दूसरे में खो जाने का कार्यक्रम कितनी देर चला, वक्त का तो पता नहीं पर यही कार्यक्रम तब तक बिना आसन बदले चलता रहा जब तक़ साक्षी पूरी तरह से झड़ नहीं गई। उसके झड़ने में हर झटके पर वो चूत को समेट लेती थी जिससे मेरे लण्ड पर बड़ा ही प्यारा अनुभव होता था। जब वो पूरी तरह से झड़ गई तो उसने मुझे प्यार से चूमा और बड़ी अदा से मेरे ऊपर से उठी और जाकर बेसिन पर झुक कर खड़ी हो गई बोली- आओ ना !
मैं उसका इशारा समझ गया, मैं उठ कर उसके पीछे गया और उसकी चूत में लण्ड को डाल दिया जो बिना किसी मुश्किल के अंदर चला गया। साक्षी की चूत पूरी तरह से उसकी चूत के पानी से भीगी हुई थी और वो बह कर उसकी टांगों पर भी आ रहा था, उसकी चूत इतनी गीली हो गई थी कि मुझे मजा नहीं आ रहा था।
मैंने लण्ड बाहर निकाला, तौलिए से उसकी चूत को पूरी तरह से साफ़ कर दिया और कंडोम पर भी जो चिकनाई थी वो सारी चिकनाई साफ़ कर दी। उसके बाद मैंने मेरे लण्ड को फ़िर से साक्षी की चूत में घुसा दिया। इस बार अंदर जाने में थोड़ा सा घर्षण जरूर लगा लेकिन साक्षी की चूत अंदर से तो गीली ही थी अत: एक बार अंदर जाने के बाद वापस से मेरे लण्ड पर भी चिकनाई लग गई।
मैंने उसे धक्के मारना शुरू किए और आगे झुक कर एक हाथ से साक्षी की चूत को आगे से मसलने लगा, दूसरे हाथ से उसके चूचों को दबा रहा था और उसकी चिकनी पीठ को चूस भी रहा था। मैं इसी तरह से कुछ देर तक धक्के लगाता रहा और साक्षी भी मेरा साथ देती रही, मुझे लगा अब मैं झड़ जाऊँगा तो मैंने चूचे छोड़ साक्षी की कमर को पकड़ा और जोर जोर से धक्के लगाना शुरू कर दिए।
वो भी मेरा साथ देते हुए और जोर से और जोर से का नारा बुलंद कर रही थी। साक्षी का सर बेसिन से ना टकराए इसलिए मैंने उसने सर के नीचे तौलिया रख दिया था और वो खुद एक हाथ से अपनी चूत को रगड़ने लगी थी।
मैंने 20-22 धक्के लगाए होंगे कि मैं झड़ने लगा, मेरे झड़ने के साथ ही साक्षी भी फिर से झड़ने लगी। झड़ने के बाद वो और मैं पूरी तरह से निढाल हालत में आ चुके थे, वो बेसिन पर सर रख कर लेट सी गई थी और मैं उसकी पीठ पर। कुछ देर बाद जब दोनों के शरीर में फिर ताकत महसूस हुई तो पहले उसने ही पहल की और मुझे कमोड पर बिठा कर मेरे ढीले हो चुके लण्ड पर से कंडोम उतारा और बड़े प्यार से मेरे ऊपर आ कर दोनों तरफ पैर कर के बैठ गई और मेरी गर्दन पर बाहें डाल कर मेरे होंठों पर चूमना शुरू कर दिया।
साक्षी की इस हरकत से मेरी भी थकान कम हो गई और मैंने भी उसे पलट कर चूमना शुरू कर दिया।
हम दोनों थोड़ी देर तक ऐसे ही बैठे रहे फिर वो बोली- जानू, भूख लग रही है !कुछ खिलाओ ना !
भूख तो मुझे भी लग रही थी, मैंने कहा- चलो कुछ मंगाते हैं।
वो बोली- हाँ, पर पहले ठीक से नहा तो लो !
मैंने शावर चालू किया, साक्षी को अपने से चिपकाया और उसके होंठों को होंठों में कस कर पानी में भीगने लगा। उसने एक बार फिर मेरे सर पर शैम्पू लगाने की कोशिश की तो मैंने कहा- अभी तो लगाया था?
तो वो बोली- वो शैम्पू था, यह कंडीशनर है।
मैं कुछ ना बोला। उसने पहले सर पर कंडीशनर लगाया फिर बदन पर फिर से साबुन लगा दिया और उसके बाद मुझे बड़े ही अच्छे से नहलाया और मेरे लण्ड को भी अच्छे से धोया।
जब मुझे नहला चुकी तो फिर से मेरे पास आई और मेरे होंठ चूमते हुए एक बार फिर भीगने लगी। हम दोनों ऐसे ही 2-3 मिनट भीगते रहे उसके बाद उसने शावर बंद किया, मुझे तौलिये ऊपर से लेकर नीचे तक पौंछ कर सुखा दिया और फिर उसने खुद का लाया हुआ एक तौलिया मेरे हाथ में दे दिया। उसका इशारा समझते हुए मैंने भी उसके बदन को सुखाना शुरू कर दिया।
जब हम दोनों एक दुसरे को सुखा चुके तो नंगे ही बाहर आए और मैं कपड़े पहनने के लिए बैग उठाने लगा तो बोली- सैंडी, मैं चाहती हूँ कि तुम आज वो कपड़े पहनो जो मैं लेकर आई हूँ।
उसकी बात सुनकर मैं आश्चर्यचकित रह गया, मुझे उससे इस बात की उम्मीद बिलकुल नहीं थी कि वो मेरे लिए कपड़े लेकर आई होगी, उम्मीद तो अलग है मैं तो चौंक ही गया था उसकी बात सुन कर।
मेरी ऐसी हालत देखकर वो बोली- आय एम सॉरी सैंडी ! अगर तुम्हें कोई दिक्कत है तो मैं फोर्स नहीं करूंगी।
मैंने कहा- नहीं शोना, ऐसा नहीं है।
मेरी बात सुन कर उसने कोई जवाब नहीं दिया, बैग से एक पोलिथीन निकाली और बोली- उम्मीद है तुम्हें ये फिट आयेंगे।
मैंने कपड़े खोले तो उसमें एक रीबॉक का लोवर और टीशर्ट थी और साथ ही जॉकी की अंडरवियर भी।
मैंने यह देख कर साक्षी को बाँहों में भर कर चूम लिया और फिर साक्षी ने ही अपने हाथों से मुझे वो कपड़े पहनाए। कपड़े पहनने के बाद मैंने कहा- मुझे माफ कर दो, मेरे पास तुम्हें देने के लिए कोई तोहफा नहीं है।
मेरी बात सुन कर साक्षी बोली- मुझे और कोई तोहफा चाहिए भी नहीं जितना सुख मुझे तुमसे मिल रहा है वैसा सुख मुझे पिछले कई सालों में नहीं मिला।
मैं उसकी बात को समझ नहीं पाया, मैने कहा- क्या मतलब?
तो वो बोली- सब समझा दूँगी जानू, चिंता मत करो, रात भर तुम्हारे ही साथ हूँ मैं !
उसकी बात सुन कर मैंने कहा- अच्छा ठीक है ! चलो खाने का कुछ आर्डर दे देते हैं।
वो बोली- तुम आर्डर करो तब तक मैं कुछ पहन लूँ।
मुझे जो कमरा मिला था वो 2+1 बेड का कमरा था और उसमें दोनों बेड के बीच एक पर्दा लगा हुआ था तो उसने अपना बैग उठाया और दूसरी तरफ चली गई और पर्दा लगा लिया ताकि मैं उसकी तरफ न देख सकूँ। जाते जाते प्यारी धमकी वाली हिदायत भी दे गई की परदे कि उस तरफ ना देखूँ मैं वरना ठीक नहीं होगा।
मैंने अच्छे बच्चों की तरह उसकी आज्ञा का पालन किया और खाने का आर्डर कर दिया, खाने के साथ स्वीट्स भी आर्डर कर दी।
चूंकि साक्षी को थोड़ा वक्त लगना था तो मैं टीवी चला कर लेट कर फिल्म देखने लग गया। उस वक्त टीवी पर अमोल पालेकर वाली गोलमाल आ रही थी जो मेरी पसंदीदा फिल्म है।
5-7 मिनट के बाद साक्षी भी तैयार होकर आ गई, उसने गुलाबी रंग का सिल्की गाऊन पहना हुआ था और बालों को एक क्लिप लगा कर संवार रखा था, होंठों पर हल्की सी लाली थी और माथे पर एक छोटी सी बिंदी लगा ली थी उसने।
उस वक्त वो क्या गजब की लग रही थी ! मैं शब्दों में नहीं बता सकता पर उस वक्त मैंने उसे कुछ लाइनें कही थी जो आज भी जहन वैसी ही ताजा हैं:
कुदरत का कमाल है, या जन्नत की हूर है तू,
चमकते हीरों के बीच, में जैसे कोहेनूर है तू !
दीवाना हो रहा हूँ, तेरे हुस्न में खोकर मैं,
इतनी पास होके भी क्यों मुझसे दूर है तू !
मेरा शेर सुन कर वो बड़े प्यार से मेरे पास चली आई और मुझे होंठों पर चूम लिया और बोली- झूठी तारीफ मत करो !
मैंने कहा- मैं झूठ नहीं बोलता, जो सच है तो सच है।
मेरी बात सुन कर वो शरमा गई और बोली- मुझे भी लेटना है, कहाँ लेटूँ?
मैंने आँखों से मेरे दायें कंधे की तरफ इशारा करते हुए कहा- यहाँ पर !
तो वो बिस्तर पर मेरे दाईं तरफ आई और मेरे कंधे पर सर रख कर लेट गई। मैंने कुछ कहने की कोशिश की तो उसने मेरे होंठों पर ऊँगली रख दी और...
आगे की कहानी अगली कड़ी में !