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Saturday 23 June 2012

पलक की चाहत-2




लेखक : सन्दीप शर्मा
मैं कुछ कहता या समझता वो उसके पहले ही कैफे से बाहर थी, मैं मेरे गाल को सहला रहा था और बिल माँगा तो पता चला कि आज मोहतरमा पहले ही पैसे दे कर जा चुकी थी।
तभी मेरे फोन पर उसका एक मेसेज आया।
मैंने मैसेज देखा तो वो खाली था, मैं समझ नहीं रहा था कि आखिर चाहती क्या है वो? मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं उसे मुझसे प्यार तो नहीं हो गया ना।
मैंने उसे जवाब दिया,"आई होप यू आर नॉट इन लव विद मी। (मैं यह उम्मीद कर रहा हूँ कि तुझे मुझ से प्यार नहीं हो गया है।)
उसने अंग्रेजी में ही जवाब दिया था, मैं हिन्दी में लिख रहा हूँ, उसने जवाब दिया,"नहीं, बिल्कुल नहीं।"
तभी फिर से उसका मैसेज आया जिसमें लिखा था,"मुझे सेक्स करना है।"
मैंने कहा- ठीक है तो कर ले न ! अंकित तो पागल हुआ पड़ा है पहले से ही।
अंकित उसका बॉय फ्रेंड था।
वो बोली,"अंकित से नहीं, मुझे तेरे साथ करना है !"
अब मेरे लिए बात और चौंकने की थी, उसका बॉयफ्रेंड था, मुझसे ज्यादा अच्छा दिखता था, दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे, फिर वो मेरे साथ क्यों सेक्स करना चाहती थी।
मैंने जवाब दिया,"मजाक बहुत हो गया, मैं घर जा रहा हूँ।"
तो उसका मैसेज आया,"तू मेरे घर आ जा, यही बात करते हैं।"
मैं कैफे से बाहर निकला और उ6सके घर पहुँचा, आंटी से पूछा,"कहा है वो गधी?"
आंटी ने मुझे देखा बोली,"य क्या हाल बना रखा है तूने बेटा?"
मैंने कहा,"क्या कहूँ आंटी ! मैडम का हुकुम था कि जैसे हो वैसे ही आ जाओ, तो आ गया !"
आंटी बोली,"कितना परेशान करती है यह लड़की तुझे ! जा वो अपने कमरे में ही है, तुझे अंदर ही बुलाया है उसने ! जा चला जा और नहा भी लेना ! तब तक मैं नाश्ता बनाती हूँ तेरे लिए !"
यह हम दोनों के लिए सामान्य बात थी कि एक दूसरे के घर रुक जाना और इस वजह से हमारे कपड़े भी एक दूसरे के घर पर पड़े रहते थे।
मैं अंदर गया तो वो मेरा ही इन्तजार कर रही थी, मेरे अंदर जाते ही मुझ पर भड़क गई,"इतने देर से यहाँ है और अंदर आने में इतनी देर लगा दी?"
जबकि मैंने आंटी से सिर्फ एक मिनट बात की थी पर मैडम को भड़कने के बहाने चाहिए होते हैं बस।
मैंने उसे कहा,"वो छोड़ और यह बता कि यह क्या लफड़ा है? अंकित तुझे इतना प्यार करता है, तू उसे इतना प्यार करती है, शादी भी करना चाहता है वो तुझ से और तू....?"
मैं कहते कहते रुक गया।
वो मेरे पास आई अपने चेहरे को मेरे चेहरे के पास ला कर बोली,"हाँ मुझे तेरे साथ ही करना है और आज ही करना है ! समझ गया?"
मैंने फिर कहा,"तू पागल ..."
लेकिन मेरी बात उसने पूरी नहीं होने दी और उसने मेरे होंठों पर होंठ रख दिए और मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया। मैं कुछ समझ ही नहीं पा रहा था कि क्या करूँ !
कुछ सेकंड तक तो मैं संशय में था और फिर मैंने भी उसे चूमना शुरू कर दिया और थोड़ी देर तक हम दोनों ही एक दूसरे को इस तरह से चूमते रहे।
फिर जब हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए तो मैंने उससे सॉरी कहा तो बोली,"कट द क्रेप यार, तू यह बता कि क्या मैं तुझे उन लड़कियों की तरह सेक्सी और माल नहीं लगती जिन सबके साथ तूने सब कुछ किया है?"
मैंने कहा,"लेकिन मैंने आज तक तेरे बारे में कभी ऐसा सोचा नहीं है यार !"
वो तपाक से बोली,"तो अब सोच ले !"
तभी नीचे से आंटी की आवाज आई,"नाश्ता तैयार है बेटा, तू पहले कुछ खा ले ! यह तो तेरी जान खाती ही रहेगी दिन भर !"
मैंने कहा,"बस अभी आता हूँ आंटी !"
और मैंने पलक को उठा कर उसके ही कमरे से बाहर किया और उसके बाथरूम में घुस गया।
इससे पहले कभी मैंने यह नहीं सोचा था कि पलक भी एक सेक्सी सुन्दर और गजब की लड़की है लेकिन उस दिन जब मैंने उसकी बात सुनी और यह सब हुआ तो मैंने इस तरफ ध्यान दिया और पाया कि वो कितनी गजब की सुन्दर है, 23 साल की उम्र, कमर तक लम्बे रेशमी बाल, भरे हुए गाल, बड़ी बड़ी काली आँखें, प्यारी तीखी नाक, पतले पतले होंठ, होंठ पर दाईं तरफ एक काला तिल, चेहरे पर कोई भी दाग नहीं, रंग ऐसा जैसे बस अभी अभी दूध से नहा कर निकली हो, नाजुक इतनी कि जोर से पकड़ लो तो खून निकल आये, प्यारे प्यारे स्तन, पतली कमर, बड़े नितम्ब और चिकनी टाँगें.... ये सब मैंने पहले भी देखा था कई बार हम दोनों एक ही बिस्तर पर भी सो गए थे पढ़ते हुए लेकिन उस दिन से पहले इस तरह से उसके बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था और उस दिन किसी और तरह से सोच ही नहीं पा रहा था।
मैं यह सब सोच कर रोमांचित भी हो रहा था और शर्मिंदा भी तभी बाथरूम के दरवाजे पर जोर जोर से खटखटाने की आवाजें आने लगी।
मैंने पूछा,"क्या हुआ?"
तो बाहर से पलक की आवाज आई,"मुझे नहीं मालूम था कि गधे नहाने में इतना वक्त लेने लगे हैं।"
मैं अभी तक पूरे कपड़ों में था, मैंने दरवाजा खोला उसे देखा और कहा,"सोच रहा था तो नहा ही नहीं पाया।"
वो बोली,"क्या सोच रहा था?"
मैंने कहा,"वो ही सब जो आज तक नहीं सोचा।"
मेरी बात सुन कर वो शरमा सी गई, उसने मेरे कपड़े पलंग पर रखे और 'माँ बुला रही है' कहते हुए नीचे भाग गई।
मैं जल्दी से नहाया, कपड़े पहने और नीचे पहुँचा, तो पलक आंटी का सर खा रही थी, उसका कहना था कि उसे कहीं जाना है और आंटी कह रही थी कि न उनके पास समय है ना अंकल के पास तो उसे अभी रुकना पड़ेगा।
यह सुन कर पलक आंटी से बोली,"देखो माँ, मुझे आज ही घूमने जाना है, यह तुम भी जानती हो और पापा भी मैंने तीन दिन से कहा हुआ है कि मुझे महेश्वर जाना है और मैं जाऊँगी, अगर आप लोग लेकर नहीं गए तो मैं अकेले चली जाऊँगी। समझ गए ना?"
यह सुनकर आंटी बोली,"तुझे अकेले तो मैं नहीं जाने दूँगी।"
पलक तपाक से बोली,"तो अकेले मैं भी कहाँ जाने वाली हूँ ! यह गधा किस दिन काम में आएगा?"
और उसने उंगली मेरी तरफ उठा दी।
यह बात सुन कर आंटी बोली,"ठीक है, पापा से पूछ ले और साथ में ड्राईवर को भी ले जाना ! वो गाड़ी चला लेगा !"
पर पलक ने ड्राईवर के लिए सीधे मना कर दिया और बोली," मैं सरिता को साथ में लेकर चली जाऊँगी गाड़ी चलाने के लिए पर नो ड्राईवर !"
मेरे ऊपर भड़कते हुए बोली,"गधे, तू कार चलाना क्यों नहीं सीख लेता?"
मैंने कहा,"तू है न उसके लिए मेरी ड्रायवर ! और ना मुझे तब कार चलाना आती थी ना अभी आती है/"
चूंकि मेरे साथ जा रही थी तो अंकल को ना तो करना ही नहीं था सो हमने सामान पैक किया और दोपहर करीब दो बजे इंदौर से महेश्वर के लिए पलक की कार से निकल गए।
पलक ने घर से निकलते वक्त काले रंग का सूट पहना था और उस सूट में वो गजब की दिख रही थी और मेरी निगाहें भी आज बदल चुकी थी उसके लिए तो और गजब की दिख रही थी वो !
पलक के घर से निकल कर हम मेरे घर गए, वहाँ मैंने अपने कपड़े पैक किए और लोअर और टी शर्ट पहन कर हम लोग घर से निकल गए।
थोड़ी ही देर बाद हम लोग नवलखा चौराहा पार कर चुके थे, यह पहली बार था कि हम इतनी देर चुप रहे साथ होने पर भी !
कहानी कई भागों में जारी रहेगी।

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