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Saturday 23 June 2012

पलक की चाहत-1


लेखक : सन्दीप शर्मा
यह कहानी मेरी और मेरी एक दोस्त की है जो आज से कुछ साल पहले घटी थी उसका नाम बदल कर मैं पलक लिख रहा हूँ। मेरी पिछली कहानी को पढ़ने के बाद उसने मुझे कहा कि मैं हम दोनों की कहानी भी लिखूँ और उसके बाद मैंने इस किस्से को लिखना शुरू किया। इस कहानी का हर भाग उसकी रजामंदी के बाद ही आपके पास पहुँच रहा है और आप सभी को पहले ही एक निराशा दे दूँ कि आप मुझ से उसका नम्बर या आईडी मांगने की कोशिश ना करें, वो अपनी शादीशुदा जिंदगी में बहुत खुश है और फिलहाल अमेरिका में है।
मैं कहानी पर आता हूँ, हम दोनों की बातें अंग्रेजी और हिन्दी दोनों में होती थी, अधिकतर अंग्रेजी में तो अत: कुछ जगहों पर जहाँ जरूरी लगा है, मैंने अंग्रेजी का इस्तेमाल किया है पर उसका हिन्दी मतलब भी साथ में लिख दिया है तो उम्मीद है आपको दिक्कत नहीं आएगी।
हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं जो हर बात के बारे में खुले तरीके से बाते करते हैं और हमारे बीच में सेक्स सम्बन्धी बातें भी ऐसे ही होती थी जैसे कोई सामान्य बातें हो रही हों, उसे भी वयस्क फिल्में देखने का बहुत शौक था तो वो मुझसे माँगा करती थी क्योंकि मैं इन्टरनेट से डाउनलोड कर लिया करता था और उसे दिया करता था। उसे मेरे सारे सम्बन्धों के बारे में भी विस्तार से पता होता था और आज भी है।
एक दिन शनिवार को सुबह 11 बजे पलक का फोन आया, मैं तब सो ही रहा था मैंने जैसे ही फोन उठाया तो वो चिल्लाते हुए बोली- गधे, एस एम एस का जवाब क्यों नहीं देता?
मैंने कहा- तू तो ऐसे बोल रही है जैसे तुझे पता ही नहीं मैं शनिवार और रविवार को 12 बजे तक सोता हूँ?
वो बोली- पता है लेकिन फिर भी मेरे मैसेज का जवाब देना चाहिए ना, मैसेज का जवाब दे !
और यह बोल कर उसने फोन काट दिया।
हाँ ! ऐसी ही है वो पागल !
मैंने एस एम एस पढ़ा, लिखा था,"सैंडी सुन ना ! कुछ बोलना था, बोलूँ क्या?"
मैंने जवाब दिया,"नहीं, मत बोल। तुझे कब से जरूरत पड़ने लगी है मुझसे कुछ बोलने के लिए?"
पलक ने जवाब दिया,,"सुन तो ले क्या कह रही हूँ !"
मैंने कहा,"तो बोल न नालायक?"
वो बोली,"अच्छा मैसेज पर नहीं बोलती, मिल कर बताऊँगी, तू काफी शॉप पर आ जा ! जैसा है वैसा ही आ जा ! सजने-संवरने की जरूरत नहीं है, तू ऐसे ही बहुत स्मार्ट लगता है।"
मैं क्या बोलता, उसके सामने कुछ बोलने का कोई मतलब था नहीं, मैंने जवाब दिया,"ठीक है, 15 मिनट में पहुँच रहा हूँ !"
और उधर से जवाब आया- ओके।
मैं बिना नहाये बिना कपडे बदले बरमूडा और टीशर्ट में ही वहाँ पहुँच गया तो वो मोहतरमा पहले से ही पहुँची हुई थी और मेरी केपेचिनो का ऑर्डर भी दे रखा था।
मैंने कहा,"कहो, क्या हुकुम है?"
बोली,"रुक तो जा यार, पहले काफी पी ले, ठीक से जाग तो जा, फिर बात करते हैं !"
मैंने कहा,"ठीक है, ठीक है, ला दे मेरी कॉफ़ी !"
तब तक कॉफी आ गई मैंने कॉफी पी उसने उसका स्ट्राबेरी शेक।
उसके बाद मैंने कहा,"अब तो बोल, क्या हुआ? क्या बोलना था?"
पलक फिर बोली,"क्या हुआ, बता दूँगी जल्दी क्यों मचा रखी है?"
अब मैं भड़क गया, मैंने कहा,"जल्दी मैंने मचा रखी है या तूने मचा रखी थी, जैसा मैं था वैसे हालत में मैंने तुझे बुलाया था या तूने मुझे बुलाया है, अब बता वरना मार खायेगी।"
फिर वो बोली,"ठीक है तू घर जा, मैं फोन करके बता दूँगी।"
उसके दिमाग में क्या चल रहा था मेरे समझ के बाहर था लेकिन आज मैंने उसकी आँखों में अजीब बात देखी थी, आज वो मुझ से आँखे मिलाने से कतरा रही थी, हर बार जब मैं उससे कुछ भी पूछता कि क्या कहना था तो वो शरमाए जा रही थी।
मैंने उसे कहा,"सुन जरा !"
वो बोली,"क्या?"
मैंने कहा,"इधर देख !"
उसने ऊपर देखा तो मैंने कहा,"आज मुझे ही ऐसा लग रहा है या तू सच में शरमा रही है?"
मेरी बात सुन कर वो लाल सी हो गई और शर्माते हुए बोली,"मैं घर जा रही हूँ तुझे घर जा कर फोन करती हूँ।" यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।
वो उठ कर जाने लगी तो मैंने पीछे से उसके बाल पकड़े और उसके चेहरे को मेरे चेहरे के सामने लाकर कहा,"अब बताएगी हुआ क्या है !!! नहीं तो मैं तुझे नहीं जाने दे रहा हूँ।"
उसके बाल पकड़ कर इस तरह कुछ पूछना मेरे लिए बिलकुल सामान्य बात थी और कैफे वालों के लिए भी क्योंकि इसके पहले भी हम लोग इस तरह की बातें करते रहे हैं।
पर आज जब मैंने उसे पकड़ा तो वो पहले तो चौंक गई फिर मेरे और पास में आ गई और उसने आँखे बंद कर ली, ऐसा उसने पहले कभी नहीं किया था तो इस बार मैं चौंक गया।
मैंने उसे कहा,"जागो मैडम कहा हो तुम?"
तो उसने आँखे खोली मेरी तरफ देखा और मेरे दाएँ गाल को उसने चूम लिया।
मैं कुछ कहता या समझता वो उसके पहले ही कैफे से बाहर थी, मैं मेरे गाल को सहला रहा था और बिल माँगा तो पता चला कि आज मोहतरमा पहले ही पैसे दे कर जा चुकी थी।
तभी मेरे फोन पर उसका एक मैसेज आया !
बाकी क्या हुआ वो अगले भाग में... तब तक के लिए इन्तजार करें !

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